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शेख हसीना को भारत में ही बने रहना चाहिए... श्रीलंका के राष्ट्रपति ने बांग्लादेश के मोहम्मद यूनुस को दिया कड़ा संदेश

कोलंबो: बांग्‍लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत में शरण लेने पर बवाल मचा हुआ है। बांग्‍लादेश की अंतरिम सरकार मांग कर रही है कि भारत शेख हसीना का प्रत्‍यर्पण कर दे। शेख हसीना के खिलाफ बांग्‍लादेश में कई मुकदमे दर्ज किए गए हैं और अगर वह वापस ढाका जाती हैं तो उन्‍हें जेल भेजा जा सकता है। साथ ही उनकी जान का भी खतरा है।
यही वजह है कि शेख हसीना अपने देश वापस नहीं जा पा रही हैं। इस बीच श्रीलंका के राष्‍ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि शेख हसीना को भारत में ही बने रहना चाहिए। शेख हसीना बांग्‍लादेश में हिंसक प्रदर्शनों के बाद अगस्‍त महीने के शुरू में भारत आ गई थीं। इससे ठीक 7 महीने पहले ही शेख हसीना ने चुनाव जीता था। रानिल विक्रमसिंघे ने फर्स्‍ट पोस्‍ट वेसबाइट से बातचीत बांग्‍लादेश के प्रत्‍यर्पण की मांग पर कहा, 'शेख हसीना की जहां तक बात है तो कई नेता अपने देश को छोड़ चुके हैं और विदेश में रह रहे हैं।
यदि शेख हसीना देश से बाहर हैं तो उन्‍हें वहां रहने देना चाहिए। हम सभी चाहते हैं कि बांग्‍लादेश सामान्‍य स्थिति पर फोकस करे।' शेख हसीना का भारत में रहना भारत और बांग्‍लादेश के बीच रिश्‍तों में तनाव की वजह बन गया है। बांग्‍लादेश की अंतरिम सरकार के कई सलाहकार खुलकर भारत से शेख हसीना को प्रत्‍यर्पित करने की मांग कर चुके हैं। रानिल विक्रमसिंघे का बयान क्‍यों अहम ?बांग्‍लादेश में इस भारत विरोधी भावनाएं काफी बढ़ी हुई हैं और कट्टरपंथी इस मौके का फायदा उठाने की कोशिश में लगे हुए हैं। यह पूछे जाने पर कि भारत और बांग्‍लादेश को इस मौके पर वह क्‍या सलाह देंगे, इस पर विक्रमसिंघे ने कहा, 'पहली चीज कि बांग्‍लादेश में स्थिरता आए और लोगों में भरोसा बढ़े।
जहां तक शेख हसीना की बात है तो यह राजनीतिक मुद्दा है। इसे इस तरह से सुलझाया जाना चाहिए कि कई नेता अपने देश को छोड़ देते हैं और वे विदेश चले जाते हैं। इसके बाद वे विदेश में ही रहते हैं। मैं इस बात को प्राथमिकता दूंगा कि बांग्‍लादेश स्थिर बना रहे।' रानिल विक्रमसिंघे ने कहा, 'यदि शेख हसीना देश से बाहर हैं तो उन्‍हें वहीं पर रहने दो। मैं समझता हूं कि स्थिरता को तेजी से आना चाहिए। सेना संभवत: जरूरी होगी। हम सभी चाहते हैं कि बांग्‍लादेश सामान्‍य हालात होने पर फोकस करे और लोगों को यह फैसला करने दे कि वे देश को किस ओर ले जाना चाहते हैं।' बता दें कि रानिल विक्रमसिंघे कुछ इसी तरह के हालात में श्रीलंका के राष्‍ट्रपति बने थे।
उस समय तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को जनता के विद्रोह के बाद भागना पड़ा था। विक्रमसिंघे शनिवार को होने जा रहे चुनाव में फिर से अपना भाग्‍य अजमा रहे हैं।

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