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कनाडा के पीएम ने चुनाव से पहले किया वर्क परमिट घटाने का फैसला, ट्रूडो के फैसले का भारतीयों पर क्या होगा असर, जानें

ओटावा: कनाडा में आम चुनाव से ठीक पहले पीएम जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली सरकार ने एक बार फिर विदेशी छात्रों के लिए स्टडी परमिट की संख्या कम कर दिया है। साथ ही विदेशियों के लिए वर्क परमिट भी कम करने और इसके लिए पात्रता सख्त करने का फैसला लिया है। ट्रूडो की यह घोषणा ऐसे समय में आई है, जब उनकी सरकार देश से विदेशियों की संख्या कम करने की कोशिश कर रही है।
जस्टिन ट्रूडो को उम्‍मीद है कि उनके इस कदम से देश में घरों का संकट कम होगा और चुनाव में इसका उन्‍हें फायदा मिलेगा। जस्टिन ट्रूडो को इस बार खालिस्‍तान प्रेमी जगमीत सिंह का भी साथ नहीं मिल रहा है। वहीं कनाडा सरकार का यह कदम बड़ी संख्या में उन भारतीयों को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा जो वहां पढ़ने और काम करने जाने का इरादा रखते हैं।कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'हम इस वर्ष 35 प्रतिशत कम अंतरराष्ट्रीय छात्र परमिट दे रहे हैं। अगले वर्ष यह संख्या 10 प्रतिशत और कम होगी।
बुधवार को किए गए बदलावों के ऐलान के बाद 2025 में जारी किए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय स्टडी परमिट की संख्या कम होकर 4,37,000 रह जाएगी। वहीं एक साल पहले 2013 में 5,09,390 परमिट मंजूर किए गए थे। इस साल की बात की जाए तो 2024 के पहले सात महीनों में 175,920 स्टडी परमिट को मंजूरी दी गई। नियमों में बदलावों से छात्रों के पार्टनर और अस्थायी विदेशी श्रमिकों के लिए वर्क परमिट पात्रता भी सीमित हो जाएगी। बदलाव का भारतीयों पर कितना होगा असरपिछले महीने जारी भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, देश के करीब 4.27 लाख छात्र कनाडा में पढ़ रहे हैं।
2023 में कनाडा के अंतरराष्ट्रीय पोस्ट-सेकेंडरी छात्र निकाय में भारतीय छात्रों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत थी। गौरतलब है कि हाल के वर्षों में कनाडा में भारतीय समुदाय की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। कनाडा में आधिकारिक तौर पर पंजीकृत भारतीयों की संख्या 2000 में 6,70,000 थी जो बढ़कर 2020 में दस लाख से ज्यादा हो गई। साल 2020 तक कनाडा में कुल 1,021,356 भारतीय पंजीकृत थे।कनाडा में विदेशियों का सबसे बड़ा हिस्सा भारतीयों का है। ऐसे में जाहिर है कि कनाडा सरकार का नया कदम पढ़ाई और जॉब के लिए कनाडा को चुनने के भारतीयों के फैसले को प्रभावित करेगा।
बदले नियमों से छात्रों को ना सिर्फ पढ़ाई के लिए कनाडा जाने में मुश्किल होगी बल्कि काम ढूंढ़ना भी आसान नहीं रहेगा। ऐसे में आने वाले समय में भारतीय छात्र अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देशों का चयन कनाडा की जगह पर करते दिख सकते हैं। सरकार क्यों बरत रही है सख्तीकनाडा में हालिया वर्षों में आप्रवासन में सबसे बड़ी वृद्धि अस्थायी निवासियों, विशेष रूप से श्रमिकों और छात्रों के कारण हुई है। केवल दो वर्षों में ये संख्या दोगुनी हो गई है। अनियंत्रित आप्रवासन देश के आवास, सामाजिक सेवाओं और जीवनयापन की बढ़ी हुई लागत पर भी बोझ डाल रहा है।
सर्वेक्षणों से पता चला है कि जनता का एक बड़ा हिस्सा यह सोचता है कि कनाडा बहुत अधिक आप्रवासियों को ला रहा है, इससे स्थानीय लोगों को काम नहीं मिल रहा है। इसे देखते हुए सरकार नियमों को सख्त कर रही है।

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