शारीरिक संबंध को लेकर याद रखने योग्य वह बातें, जिसे ध्यान रखकर प्रेग्नेंट न होने की समस्या की जा सकती दूर ...

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भले ही सेक्स को लेकर हमारा समाज खुलकर बात करने की इजाज़त हमें नहीं देता, लेकिन मानव जीवन मे यह काफ़ी अहमियत रखता है। मानव जीवन के लिए रोटी, कपड़ा और मकान के बाद की सबसे बड़ी ज़रूरत सेक्स ही होती है। सेक्स के बारे में हमारा समाज खुलकर बात भले न करें, लेकिन यह एक शारीरिक क्रिया है। जो जीवन मे प्रजनन के अलावा भी महत्व रखती है। सेक्स का मक़सद केवल बच्चें पैदा करना नही होता। यह एंटरटेनमेंट, रिलेशनशिप को बनाएं रखने का भी एक तरीका होता है। लेकिन आइए हम जानते हैं सेक्स के दौरान की वह बातें जो प्रेग्नेंसी की दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है।

कहीं न कहीं हर औरत का यह सपना होता है कि उसे मातृत्व सुख मिलें। ऐसे में कुछ महिलाएं एक ही बार में अपने पार्टनर के साथ सेक्स करने के बाद प्रेग्नेंट हो जाती है, लेकिन कुछ महिलाएं काफ़ी प्रयास के बाद भी प्रेग्नेंट नहीं हो पाती या कइयों प्रयास के बाद उनके लिए यह सम्भव हो पाता है।

मालूम हो हमारे समाज में भले सेक्स एजुकेशन पर बात न होती हो, लेकिन जब कोई महिला लम्बे समय तक शादी के बाद प्रेग्नेंट नही होती। तो उसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होने लगती है। ऐसे में वह महिला काफ़ी दवाब में आ जाती है। हैल्थ स्पेसलिस्ट भी कहते हैं कि एक तय समय-सीमा में सेक्स करने से प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है। तो जानते हैं यह कब और कैसे सम्भव हो सकता।

ओव्यूलेशन के बाद ही प्रेग्नेंसी सम्भव होती है। ओव्यूलेशन तब होता है जब महिलाओं की ओवरी से एग्स रिलीज़ होते हैं। ये एग स्पर्म से फर्टिलाइज होने के बाद प्रेग्नेंसी की स्थिति बनाते हैं। जब ये एग रिलीज होते हैं, अगर उस दौरान महिलाओं के फैलोपियन ट्यूब में स्पर्म मौजूद हो तो इसकी सम्भवना होती है कि वह प्रेग्नेंट हो सकती है।

ओव्यूलेशन के बाद कन्सीव (गर्भधारण) करने के लिए लगभग 12 घण्टे का समय होता है। इसके पीछे कारण यह है कि ओव्यूलेशन के बाद एक अंडे का जीवनकाल सिर्फ़ 24 घण्टे का होता है। कुल-मिलाकर यह हुआ अगर 12 घण्टे के भीतर अंडे को फर्टिलाइज नही किया गया तो प्रेग्नेंसी की संभावना नगण्य हो जाएगी। ओव्यूलेशन के बाद एग फर्टिलाइजेशन का समय बहुत कम होता है।



प्रेग्नेंसी की सम्भवना बढाने के लिए ओव्यूलेशन के समय से पहले ही शारीरिक सम्बन्ध बनाना एक दम्पत्ति के लिए अच्छा परिणाम देने वाला साबित हो सकता है। हां विशेष बात यह है कि महिलाओं को ओव्यूलेशन के समय का भान होना बहुत जरूरी है। वरना फ़िर काम की कोई बात नहीं होगी।

वहीं बात करें तो गर्भाशय के अंदर स्पर्म 72 घण्टे तक जीवित रहता है। इसलिए ओव्यूलेट होने से तीन दिन पहले से सेक्स करना दाम्पत्य जीवन में वंश वृद्धि के लिहाज़ से बेहतर परिणाम देने वाला हो सकता है। आज़कल सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि महिलाओं को उनके ओव्यूलेशन पीरियड का सही समय पता नही होता। ऐसे में वह इसके लिए ओव्यूलेशन स्ट्रिप का उपयोग कर सकती है। इससे उन्हें यह पता चल जाएगा कि कब वह ओव्यूलेट करने वाली है। 


जिसकी मदद से वह प्रेग्नेंसी को सही तरीक़े से प्लान कर सकती है। वही आख़िर में बात ओव्यूलेशन के लक्षण की करें तो बता दें कि माहवारी के आसपास का समय ओव्यूलेशन का समय भी होता है। ओव्यूलेशन के दौरान अधिकतर यह देखा जाता है कि शरीर का तापमान 1 डिग्री तक बढ़ जाता है। साथ ही साथ ल्युटिनाइजिंग हार्मोन भी बढ़ जाता है। इसके अलावा वेजाइनल डिस्चार्ज, ब्रेस्ट में खिंचाव और पेट मे एक तरफ़ दर्द होना भी इसका लक्षण है। ऐसे में इन बातों को ध्यान में रखते हुए एक महिला जिसे मातृत्व सुख काफ़ी समय से नहीं मिल रहा। वह भी मातृत्व सुख लेने की दिशा में बढ़ सकती है।







Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.