हिंडनबर्ग रिसर्च बंद! गौतम अडानी पर लगे आरोपों के बीच नैट एंडरसन ने क्यों लिया यह फैसला?

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हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नैट एंडरसन ने फर्म को बंद करने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही, कॉर्पोरेट जगत के छिपे घोटालों और अनियमितताओं की जांच करने वाले एक अहम अध्याय का अंत हो गया।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी शॉर्ट-सेलिंग रणनीति और हाई-प्रोफाइल रिपोर्ट्स के जरिए कई बड़े उद्योगपतियों और कंपनियों को निशाना बनाया था। इनमें सबसे चर्चित मामला भारतीय अरबपति गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप का था, जिसकी वजह से समूह को अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा था।

अब सवाल उठता है कि नैट एंडरसन ने आखिरकार इस रिसर्च फर्म को बंद करने का फैसला क्यों किया? आइए जानते हैं।

हिंडनबर्ग रिसर्च को बंद करने की वजह क्या है?

नैट एंडरसन ने फर्म बंद करने को “व्यक्तिगत निर्णय” बताया और कहा कि इसमें कोई खास खतरा, स्वास्थ्य समस्या या व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है।

एंडरसन के मुताबिक,

“शुरुआत में, मुझे लगा कि मुझे खुद को कुछ चीजें साबित करने की जरूरत है। अब मुझे आखिरकार आत्म-संतोष मिला है, शायद मेरे जीवन में पहली बार।”

उन्होंने कहा कि अब वह एक नए अध्याय की ओर बढ़ना चाहते हैं।
इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि हिंडनबर्ग का मिशन पूरा हो चुका है और एंडरसन अब आगे बढ़ना चाहते हैं।

लेकिन क्या यह सच में सिर्फ व्यक्तिगत निर्णय है, या फिर अडानी ग्रुप और अन्य कंपनियों से कानूनी विवादों का दबाव भी इसमें शामिल है?

हिंडनबर्ग VS अडानी ग्रुप: पूरी टाइमलाइन

24 जनवरी 2023 – हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर लगाया सबसे बड़ा आरोप

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि अडानी ग्रुप दशकों से स्टॉक हेरफेर और वित्तीय धोखाधड़ी कर रहा है।
रिपोर्ट का टाइटल था:

“Adani Group: How The World’s 3rd Richest Man Is Pulling The Largest Con In Corporate History”

हिंडनबर्ग ने अडानी परिवार पर ये आरोप लगाए:

मॉरीशस, UAE और कैरेबियन टैक्स हैवन में ऑफशोर शेल कंपनियां बनाकर स्टॉक मैनिपुलेशन।
फर्जी आयात-निर्यात दस्तावेजों का इस्तेमाल कर फेक रेवेन्यू दिखाना।

मनी लॉन्ड्रिंग और निवेशकों को धोखा देना।

अडानी ग्रुप ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।

अगस्त 2024 – SEBI चेयरपर्सन पर हिंडनबर्ग का दूसरा हमला

10 अगस्त 2024 को हिंडनबर्ग ने भारतीय बाजार नियामक SEBI की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर हितों के टकराव (Conflict of Interest) का आरोप लगाया।

क्या थे आरोप?

SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने ऐसे निवेश किए थे, जो अडानी ग्रुप से जुड़े थे।

SEBI अडानी ग्रुप की जांच को रोकने के लिए “अनिच्छुक” थी।
बुच दंपति के IPE Plus Fund 1 (मॉरीशस) और Global Dynamic Opportunities Fund (बरमूडा) में निवेश को लेकर सवाल उठाए गए।

माधबी पुरी बुच और धवल बुच ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया।

सितंबर 2024 – स्विस बैंक खातों में $310 मिलियन की फ्रीजिंग का दावा

12 सितंबर 2024 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने स्विस मीडिया आउटलेट ‘Gotham City’ के हवाले से बड़ा दावा किया।

क्या था दावा?

स्विस अधिकारियों ने अडानी ग्रुप से जुड़े कई बैंक खातों में $310 मिलियन (लगभग 2,600 करोड़ रुपये) की संपत्ति फ्रीज कर दी।
स्विस फेडरल क्रिमिनल कोर्ट (FCC) की जांच में अडानी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप लगे।

अडानी ग्रुप ने इस दावे को बेबुनियाद बताया।

क्या हिंडनबर्ग की रिपोर्ट्स सिर्फ ‘शॉर्ट-सेलिंग’ की रणनीति थीं?

हिंडनबर्ग का मॉडल कैसे काम करता था?

हिंडनबर्ग “शॉर्ट सेलिंग” की रणनीति अपनाता था।
पहले वे किसी कंपनी में गड़बड़ी की रिपोर्ट जारी करते, जिससे कंपनी के शेयर गिर जाते।
इसके बाद वे गिरते शेयरों पर मुनाफा कमाते।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ, लेकिन हिंडनबर्ग ने इससे भारी मुनाफा कमाया।