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भारत में कैंसर का इलाज पहले से सस्ता हुआ, पैसों की कमी नहीं बनेगी मौत की वजह

कैंसर अपने आप में एक जानलेवा बीमारी है, लेकिन इलाज का खर्च भी इससे होने वाली मौतों का एक बड़ा कारण है। हाल ही में सरकार ने इलाज की फीस कम करने के लिए एक अहम कदम उठाया है।

भारत में कैंसर के इलाज की लागत में कमी आई है, जिससे इस घातक बीमारी का इलाज पहले से कहीं ज़्यादा सुलभ हो गया है। यह बदलाव देश भर के लाखों लोगों के लिए राहत का संदेश लेकर आया है, जहाँ अब पैसे की कमी इलाज में बाधा नहीं बनेगी।

जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘कैंसर की दवाओं पर भी जीएसटी दरें कम की जा रही हैं। कैंसर के इलाज की लागत को और कम करने के लिए इसे 12% से घटाकर 5% किया जा रहा है।’

कैंसर के इलाज की लागत प्रभावित अंग, कैंसर की अवस्था, उपचार विकल्पों पर निर्भर करती है। लेकिन अगर लागत का मोटा अनुमान लगाया जाए तो यह 2-15 लाख रुपये के बीच हो सकती है।

कैंसर के इलाज पर खर्च किया गया पैसा

इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, कैंसर कंसल्टेंट फीस- 500-3000, डायग्नोस्टिक टेस्ट- 1000-4000, बायोप्सी- 2000-25000, ब्लड टेस्ट- 1000-3000, इलाज- 1 लाख-6 लाख, रेडिएशन थेरेपी- 50000-2.25 लाख, कीमोथेरेपी- 80,000-8 लाख, इम्यूनोथेरेपी- 5 लाख, इलाज के बाद का खर्च- 50000-4 लाख।

गरीबों के लिए कैंसर से लड़ना आसान है

कैंसर के इलाज की लागत में कमी से न केवल मरीजों को लाभ होगा, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक महत्वपूर्ण बदलाव है। अब गरीब और मध्यम वर्ग के परिवार भी इस महंगे इलाज का खर्च उठा सकते हैं, जिससे मृत्यु दर में कमी आएगी और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।

इस कैंसर के सबसे ज्यादा मरीज भारत में हैं

भारत में कैंसर के सबसे आम प्रकार स्तन, गर्भाशय ग्रीवा, मुंह और फेफड़ों के कैंसर हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 के दौरान देश में कैंसर से 13.92 लाख मौतें हुईं, जो 2018 में केवल 7.84 दर्ज की गई थीं। इसके पीछे एक महत्वपूर्ण कारण पैसे के कारण इलाज में देरी होना था।

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