वैवाहिक विवादों में पुरुष भी होते हैं क्रूरता का शिकार, पुरानी सोच बदलने की जरूरत: HC
कर्नाटक हाई कोर्ट: कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वैवाहिक विवाद में एक पुरुष भी क्रूरता और शोषण का शिकार हो जाता है. पीठ ने कहा कि यह सच है कि वैवाहिक विवादों में मुख्य रूप से महिलाएं प्रभावित होती हैं लेकिन पुरुषों पर भी क्रूरता होती है। इसलिए अब सोच बदलने की जरूरत है. अब समय आ गया है जब हम लैंगिक तटस्थ समाज की बात करें। 7 जनवरी को पारित आदेश में न्यायमूर्ति सी. सुमालता ने महिला की केस ट्रांसफर याचिका खारिज कर दी. महिला ने कहा कि कोर्ट मेरे घर से 130 किमी दूर है और मुझे हर बार केस की सुनवाई के लिए आने में दिक्कत होती है. इस पर कोर्ट ने कहा कि यह सच है कि महिला को तकलीफ हो रही है लेकिन अगर केस ट्रांसफर किया गया तो पति को और भी तकलीफ होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि कोर्ट की दूरी बढ़ जाएगी. वह दो छोटे बच्चों की देखभाल भी कर रही है। उन्हें अकेला छोड़कर दूर तक यात्रा करना मुश्किल हो जाएगा. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक झगड़े में पुरुष भी क्रूरता का शिकार होता है. इसके साथ ही कोर्ट ने संदेश दिया कि अब समय आ गया है, जब समाज को लिंग तटस्थ होने के बारे में सोचना होगा.
पीठ ने कहा, ‘संवैधानिक रूप से एक महिला को पुरुष के समान अधिकार प्राप्त हैं लेकिन सच्चाई यह है कि वैवाहिक विवादों में महिलाएं अधिक शोषण और क्रूरता का शिकार होती हैं, जबकि तथ्य यह है कि पुरुष भी महिलाओं की ओर से क्रूरता का शिकार होते हैं। इसलिए आज लैंगिक तटस्थ समाज की आवश्यकता है। ऐसे समाज की भी जरूरत है ताकि इस मामले को लिंग भेदभाव से अलग करके देखा जा सके।’
हालांकि, महिला ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मांग की कि उसके पति के साथ तलाक का मामला, जो फिलहाल चिक्कमंगलुरु कोर्ट में चल रहा है, उसे शिवमोगा जिले में ट्रांसफर कर दिया जाए. उस पर बेंच ने कहा कि ‘आपके पति 9 और 7 साल के बच्चों की देखभाल कर रहे हैं. ऐसे में केस ट्रांसफर होने से उन्हें और परेशानी होगी. वह बच्चों को स्कूल भेजने से लेकर अन्य जिम्मेदारियां संभालते हैं। कोर्ट ने कहा कि हम सिर्फ इसलिए केस ट्रांसफर नहीं कर सकते क्योंकि ये एक महिला की मांग है. यह सच है कि पुरुष भी अक्सर महिलाओं की तरह क्रूरता के शिकार होते हैं।