ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की चेतावनी: “हमें छद्म सेना की जरूरत नहीं”
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने रविवार को स्पष्ट रूप से कहा कि ईरान को किसी छद्म सेना (Proxy Army) की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह बयान ऐसे समय में दिया जब ईरान समर्थित हमास और हिजबुल्ला को इस्राइल के खिलाफ संघर्ष में गंभीर नुकसान झेलना पड़ा है। साथ ही, सीरिया और यमन में भी ईरान समर्थित गुट कमजोर हो चुके हैं।
खामेनेई का बयानतेहरान में एक जनसभा के दौरान खामेनेई ने कहा:
- “इस्लामिक गणराज्य ईरान को किसी छद्म सेना की जरूरत नहीं है। यमन इसलिए लड़ रहा है क्योंकि उसमें आस्था है। हिजबुल्ला और हमास अपनी आस्था के बल पर जंग लड़ते हैं। वे हमारी प्रॉक्सी (Proxy) नहीं हैं।”
- उन्होंने जोर देकर कहा कि:
- “अगर किसी दिन हमें कार्रवाई करनी होगी, तो हम खुद करेंगे। हमें किसी छद्म सेना की जरूरत नहीं है।”
ईरान पर लंबे समय से क्षेत्रीय संघर्षों में छद्म सेनाओं के उपयोग के आरोप लगते रहे हैं:
- हमास (फलस्तीन):
- माना जाता है कि ईरान ने इस्राइल के खिलाफ लड़ाई के लिए हमास को मजबूत किया।
- हिजबुल्ला (लेबनान):
- लेबनान में हिजबुल्ला को हथियारों और धन की आपूर्ति में ईरान की अहम भूमिका रही है।
- सीरिया के जरिए हिजबुल्ला तक हथियार पहुंचाए जाते थे।
- यमन के हूती विद्रोही:
- यमन के हूती विद्रोहियों को भी ईरान का समर्थन मिलने का दावा किया जाता है।
- हमास और हिजबुल्ला की स्थिति:
इस्राइल के खिलाफ संघर्ष में हमास और हिजबुल्ला कमजोर हो चुके हैं। सीरिया: यमन: ईरान का संदेश और अमेरिका पर कटाक्ष
- बशर अल-असद सरकार, जिसे ईरान समर्थित माना जाता था, अब स्थिर नहीं है।
- हूती विद्रोही अमेरिका और ब्रिटेन के हवाई हमलों से कमजोर हुए हैं।
खामेनेई ने अमेरिका पर कटाक्ष करते हुए कहा कि:
- “वे (अमेरिका) कहते हैं कि ईरान ने अपनी छद्म सेनाओं को खो दिया है। यह उनकी एक और भूल है।”
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