Judge Exposed Many Flaws Related To Investigation In RG Kar Case : आरजी कर मेडिकल कॉलेज मामले में फैसला सुनाते हुए सियालदाह कोर्ट के जज ने जांच से जुड़ी कई खामियों को किया उजागर

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नई दिल्ली। आरजी कर मेडिकल कॉलेज मामले में सियालदाह कोर्ट के जज अनिर्बान दास ने अपना फैसला सुनाते हुए केस की जांच से जुड़ी कई खामियों को भी उजागर किया। जज ने कोलकाता पुलिस के ढीलाढाली वाले रवैये पर सवाल उठाते हुए मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल संदीप घोष की एक्टिविटी पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया। जज ने कहा कि केस की शुरुआती जांच से ही पुलिस का इस मामले को उदासीन रवैया रहा है। वहीं अस्पताल के अधिकारियों द्वारा इस मामले को आत्महत्या एंगल से जोड़ना खुद को सवालों से बचाने के लिए किया गया था। ऐसा लगता है अधिकारी किसी बात को दबाना चाहते थे।

जस्टिस दास ने मृत डॉक्टर के माता-पिता की शिकायत दर्ज करने में देरी के लिए भी पुलिस से सवाल किया। उन्होंने पूछा कि पुलिस प्रशासन ने पीड़िता के माता-पिता को 9 अगस्त, 2024 की शाम 6 बजे तक शिकायत दर्ज कराने के लिए इंतजार क्यों कराया? मुझे यह समझ में नहीं आता है कि ताला पुलिस स्टेशन के पुलिसकर्मियों ने सब कुछ पर्दे के पीछे क्यों रखा और ताला पीएस के संबंधित अधिकारी द्वारा इस प्रकार के गैरकानूनी कार्य क्यों किए गए? जज ने कोलकाता पुलिस आयुक्त को पुलिस अधिकारियों के अवैध और उदासीन कृत्यों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

अपने आदेश में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इस प्रकार के अवैध और उदासीन कृत्यों को अंजाम देने वाले पुलिस कर्मियों से बहुत सख्ती से निपटना चाहिए ताकि कोई भी बच न सके। साथ ही जज ने यह सुझाव भी दिया कि जांच के संबंध में अधिकारियों को उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। आपको बता दें कि जस्टिस अनिर्बान दास ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म के बाद हत्या मामले के दोषी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। हालांकि कोर्ट ने इसे रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस नहीं माना है।

 

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