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Geeta Updesh इन पांच कारणों से मनुष्य हो सकता है पूरी तरह बर्बाद, श्री मद्धभगवद्गीता में है जिक्र

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: मानव जीवन की हर परेशानी का कारण और निवारण श्री मद्धभगवद्गीता में लिखित है। जो स्वयं भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए उपदेश है। गीता में कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं जिनका पालन करके मनुष्य सफलता हासिल कर सकता है

लेकिन गीता में भगवान कृष्ण ने मनुष्य की बर्बाद की पांच वजहों का जिक्र भी किया है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा इसी के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं कि वो कौन से पांच कारण है जो मनुष्य को बर्बादी की कगार पर खड़ा कर सकते हैं तो आइए जानते हैं। 

मानव जीवन की बर्बाद के कारण—
गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि जो मनुष्य काम पूरा किए बिना ही जल्दी थक जाता है ऐसा मनुष्य शीघ्र ही बर्बाद हो जाता है। क्योंकि अगर मनुष्य उर्जावान नहीं रहता है तो वह उम्र से पहले बूढ़ा दिखने लगता है। ऐसा मनुष्य समय निकल जाने के बाद भी अगर काम करना चाहता है तो भी वह कार्य नहीं कर पाता है ऐसे लोगों को कभी भी सफलता प्राप्त नहीं होती है।

गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं जो मनुष्य हर बात पर क्रोध करता है क्रोध में आकर किसी को हानि पहुंचाता है ऐसे मनुष्य को बर्बाद होने से कोई रोक नहीं सकता है। साथ ही इन लोगों को परिवार व समाज में मान सम्मान भी हासिल नहीं होता है और इनके कोई मित्र नहीं होता है और सभी ऐसे मनुष्य के शत्रु बन जाते हैं ऐसे में क्रोध पर नियंत्रण रखें। गीता के अनुसार भय भी मनुष्य को बर्बाद कर सकता है क्योंकि जो डरपोक नहीं होता है वह सही को सही और गलत को गलत कह सकता है।

भगवान कृष्ण गीता में कहते हैं कि नींद वह अवगुण है जो अच्छे से अच्छे मनुष्य को भी बर्बाद कर देता है। जो मनुष्य अपनी निंद्रा पर विजय प्राप्त नहीं करता है वह दूसरों से सदा पीछे रहता है। इसके अलावा भगवान कृष्ण से पांचवा कारण आलस्य को बताया है जो मनुष्य को बर्बाद कर सकता है। 

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