Amjad Khan Birth Anniversary: पाकिस्तान से था 'गब्बर' का गहरा कनेक्शन, जाने थिएटर आर्टिस्ट कैसे बना बॉलीवुड का सबसे खूंखार विलेन ?

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मनोरंजन न्यूज़ डेस्क - हिंदी सिनेमा में शोले को काफी ऊंचा दर्जा दिया जाता है. कुछ लोग तो इस फिल्म को देश की सबसे बेहतरीन फिल्म भी कहते हैं. कास्ट से लेकर स्क्रिप्टिंग तक सब कुछ काफी दिलचस्प था. इस फिल्म ने देश को बहुत कुछ दिया. 50 साल पहले आई इस फिल्म को देखकर आज की पीढ़ी भी एंटरटेन हो रही है. और ये फिल्म इसलिए भी खास मानी जाएगी क्योंकि इसी फिल्म से देश को अमजद खान के रूप में सबसे खूंखार विलेन मिला था. भले ही अमजद खान ने दूसरे विलेन के मुकाबले कम फिल्में की हों, लेकिन उनके जैसा खौफ और असर कोई और नहीं पैदा कर सका.


14 साल की लड़की से हुआ था प्यार

अमजद खान का जन्म 12 नवंबर 1940 को मुंबई में हुआ था. उनके परिवार की जड़ें पेशावर से जुड़ी थीं. उनके पिता जकारिया खान भी एक्टर थे और कई फिल्मों में नजर आए थे. उनके छोटे भाई इम्तियाज खान को भी एक्टिंग का शौक था. दोनों कॉलेज के दिनों में थिएटर किया करते थे. उन्होंने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट भी काम किया था. यही वो वक्त भी था जब अमजद खान को 14 साल की लड़की से प्यार हो गया था. एक्टर ने लड़की को शादी के लिए प्रपोज भी कर दिया था. लड़की को अमजद खान भी पसंद आ गए थे. लेकिन लड़की की उम्र अभी शादी लायक नहीं थी. ऐसे में अमजद खान ने इंतजार किया और बाद में उसी लड़की से शादी कर ली. इसी बीच फिल्म शोले बन रही थी. राइटर सलीम-जावेद ने फिल्म की प्लानिंग कर ली थी. विलेन के रोल के लिए डैनी डेन्जोंगपा का नाम भी फाइनल हो चुका था. तो थिएटर करने वाले एक ऐसे शख्स को ये रोल कैसे मिल गया, जिसने अपनी जिंदगी में कभी लीड कैरेक्टर प्ले नहीं किया था और एक्टिंग का ज्यादा अनुभव भी नहीं था.


डैनी का न होना और अमजद की एंट्री

डैनी डेन्जोंगपा ने अपने करियर में विलेन के तौर पर बेहतरीन काम किया. उनके कुछ रोल काफी यादगार रहे. उनमें से एक गब्बर का नाम भी हो सकता था. क्योंकि ये रोल सबसे पहले डैनी को ऑफर किया गया था. लेकिन डैनी ने अपने दूसरे वर्क कमिटमेंट्स की वजह से इस रोल को करने से मना कर दिया. इसके बाद अमिताभ बच्चन और संजीव कुमार को भी ये रोल पसंद आया और उन्होंने भी इस रोल को करने की इच्छा जताई थी. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. सलीम-जावेद ने इस रोल को थोड़ा रिफ्रेश किया और कहीं से अमजद खान का नाम भी सिफारिश के लिए आया।

दरअसल जब अमजद खान थिएटर कर रहे थे, तब रमेश सिप्पी ने उन्हें देखा था। सिप्पी को उनके चेहरे के हाव-भाव पसंद आए और जब उन्हें फिल्म शोले में गब्बर के रोल की जरूरत का पता चला तो उन्होंने यह जिम्मेदारी सलीम खान को दी और सलीम खान ने अमजद खान को फिल्म में रखने की सिफारिश की। सलीम खुद भी फिल्म के सभी अहम फैसलों में अपना योगदान दे रहे थे, ऐसे में उन्हें इस फिल्म में अमजद के लिए गब्बर का रोल दिलाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई और बाद में यह रोल अपने आप में एक ऐतिहासिक रोल बन गया।


40 साल के करियर में 132 फिल्में
अमजद खान ने कसमें वादे, देश परदेश, मुकद्दर का सिकंदर, खंजर, नसीब, रॉकी, लावारिश, याराना समेत कई फिल्मों में काम किया। उनकी कॉमिक टाइमिंग भी कमाल की थी। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि हमेशा गंभीर रोल करने वाले एक्टर को कॉमेडी में भी फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। इसके अलावा अमजद खान ने महान फिल्मकार सत्यजीत रे की हिंदी फिल्म सतरंज के खिलाड़ी में भी अहम भूमिका निभाई थी। अवध के आखिरी राजा वाजिद अली शाह की भूमिका में वे कमाल का अभिनय करते नजर आए थे। इस फिल्म में उन्होंने जिस गहराई से इस किरदार को निभाया, वह उनके बेहतरीन अभिनेता होने का सबूत है।