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पेजर विस्फोट से लेबनान में लग गया लाशो का ढेर, जानिए क्या आपका स्मार्टफोन भी बन सकता है बम का गोला ?

टेक न्यूज़ डेस्क - 18 सितंबर को लेबनान में हुए धमाकों ने सबको चौंका दिया है। यह पहली बार है जब संचार उपकरण पेजर के ज़रिए धमाका किया गया। लेबनान से लेकर सीरिया तक करीब 1 घंटे तक धमाके हुए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन हमलों में 11 लोगों की जान चली गई और करीब 4000 लड़ाके घायल हुए। सवाल यह है कि क्या पेजर की तरह स्मार्टफोन से भी धमाके किए जा सकते हैं?

क्या है पेजर?
अब सबसे पहले यह जान लेते हैं कि स्मार्टफोन के ज़माने में यह पेजर क्या है। दरअसल, पेजर एक वायरलेस डिवाइस है। इस डिवाइस को बीपर के नाम से भी जाना जाता है। रिपोर्ट्स की मानें तो इस डिवाइस का पहली बार इस्तेमाल 1950 में हुआ था। पेजर का सबसे पहले इस्तेमाल न्यूयॉर्क शहर में हुआ था। उस समय इस डिवाइस की मदद से 40 मीटर की रेंज तक मैसेज भेजे जा सकते थे। समय बीतने के साथ 1980 के बाद इस डिवाइस का इस्तेमाल पूरी दुनिया में होने लगा।

भारत में भी हुआ पेजर का इस्तेमाल
अगर भारत की बात करें तो देश में 90 के दशक में कुछ महीनों के लिए इस डिवाइस का इस्तेमाल किया गया था। साल 2000 के बाद वॉकी-टॉकी और मोबाइल फोन का दौर आ गया था। यही वजह भी रही कि भारत में यह डिवाइस ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो पाई। हालांकि, भारत से बाहर दूसरे देशों में लोग स्मार्टफोन के इस दौर में भी पेजर का इस्तेमाल कर रहे हैं।

पेजर का इस्तेमाल कैसे होता है


पेजर का इस्तेमाल दो तरह से किया जाता है- वॉयस मैसेज और अल्फान्यूमेरिक मैसेज भेजने के लिए। इस डिवाइस में छोटी स्क्रीन और सीमित कीपैड होता है। मैसेज भेजने के लिए रेडियो तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है। मोबाइल फोन के उलट इस डिवाइस को ट्रेस नहीं किया जा सकता। क्योंकि, पेजर में जीपीएस और आई एड्रेस नहीं होता। इस डिवाइस का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है क्योंकि यह गुप्त बातचीत का सुरक्षित तरीका है। मोबाइल फोन के उलट इस डिवाइस को एक बार चार्ज करने के बाद 7 से 8 दिन तक इस्तेमाल किया जा सकता है।

क्या स्मार्टफोन फट सकता है?
इस सवाल का जवाब हां में दिया जा सकता है। इसकी एक बड़ी वजह स्मार्टफोन में लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल है। हालांकि, पेजर की तरह इस तरह से स्मार्टफोन का इस्तेमाल करना थोड़ा मुश्किल भी है। फोन में लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल उनके हाई-एनर्जी डेंसिटी के कारण किया जाता है। आम तौर पर, फोन की बैटरी में विस्फोट के मामले में, यह देखा जाता है कि बैटरी ओवरचार्ज हो जाती है, ज़्यादा गरम हो जाती है या शारीरिक रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती है। हालांकि, स्मार्टफोन की बैटरी में विस्फोट विनिर्माण और उपयोग से संबंधित है। पेजर के मामले में, विनिर्माण के दौरान डिवाइस में विस्फोटक सामग्री एम्बेडेड की गई थी। पेजर के साथ स्थिति उनके जटिल सॉफ़्टवेयर और फ़ोन केस में नेटवर्क कनेक्शन के कारण कठिन हो जाती है।

स्मार्टफोन के विभिन्न ब्रांड, मॉडल और सॉफ़्टवेयर सिस्टम के कारण यह कार्य थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इसके अलावा, आधुनिक स्मार्टफ़ोन में सुरक्षा के लिए कई परतें होती हैं। हैकर्स बड़े पैमाने पर विस्फोट करने के लिए स्मार्टफोन का उपयोग नहीं कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि आधुनिक स्मार्टफ़ोन में सर्किटरी होती है जो ज़्यादा गरम होने पर सुरक्षा उपायों के साथ काम करना शुरू कर देती है। इसके अलावा, अब स्मार्टफ़ोन में कूलिंग चैंबर का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये डिवाइस को गर्मी की स्थिति में भी सुरक्षित रखने का काम करते हैं। आधुनिक फ़ोन में वेपर चैंबर और ग्रेफाइट कूलिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे गर्मी पूरे डिवाइस में समान रूप से फैलती है। ग्रेफाइट परत प्रोसेसर जैसे महत्वपूर्ण घटकों से गर्मी को दूर रखने का काम करती है। कुल मिलाकर, आधुनिक स्मार्टफोन के ज़रिए ऐसे विस्फोट नहीं किए जा सकते। यह मुश्किल या लगभग असंभव होगा।

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